Monday, February 9, 2009

पद्मश्री अवाॅर्ड की बंदरबांट

पद्मश्री अवाॅर्ड की बंदरबांट
गणतंत्र दिवस पर इस बार बांटे गए पद्मश्री अवाॅर्डों को लेकर इस बार जैसी फजीहत सरकार को कभी भी नहीं करनी पड़ी। ओलंपिक में देश को पहली बार पदकों की तालिका में पहुंचाने के बावजूद मुक्केबाज सुशील कुमार और वीरेंदरसिंह को महरूम रहना पड़ा, वहीं जम्मू कश्मीर के निर्यातक को पद्मश्री अवाॅर्ड के लिए नामित कर दिया जाने से यही लगता है कि यदि जोड़-तोड़ की जाए तो यह अवाॅर्ड पाना भी अब कोई मुश्किल काम नहीं रह गया है।
इससे भी दिलचस्प बात यह है कि इस वर्ष मध्यप्रदेश के भाषाई समाचार पत्र नईदुनिया के मालिक और प्रधान संपादक रहे अभय छजलानी और इसी संस्था के वर्तमान प्रधान संपादक का काम देख रहे आलोक मेहता तक को पद्मश्री अवाॅर्ड से नवाजा गया है। दिलचस्प बात यह है कि इसी संस्था के एक पत्रकार ने गत वर्ष वर्तमान राष्ट्रपति महोदया श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल से इस संस्था द्वारा उसे परेशान किए जाने से त्रस्त होकर सपरिवार इच्छामृत्यु की याचना की थी, जिस पर संभवतः अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है, उल्टे पूर्व और वर्तमान संस्था प्रमुखों को पद्मश्री अवाॅर्ड से नवाज दिया गया है।